जिंदगी का राज मुजामिर........ ----शहीद राम प्रसाद 'बिस्मिल'

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  • Sunday, August 15, 2010
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                          स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायों सहित 






                                                  देश पर कुर्बान हो जाने वाले शहीदों को समर्पित 




    चर्चा अपने क़त्ल का अब यार की महफ़िल में है 
    देखना  है यह   तमाशा  कौन-सी   मंजिल में  है

    देश  पर   कुर्बान होते  जाओ  तुम,   ऐ  हिंदियों
    जिंदगी  का  राज़ मुज़मिर  खंजरे -कातिल में है

    साहिले-मक्सूद   पर ले  चल  खुदारा ,   नाखुदा
    आज हिन्दुस्तान  की  कश्ती  बड़ी मुश्किल में है 

    दूर हो  अब   हिंदी से    तारीकी-ऐ-बुग्ज़ो-हसद
    बस  यही हसरत ,  यही अरमां  हमारे दिल में है 

    बामे-रफअत  पर चढ़ा  दो  देश  पर होकर फ़ना
    'बिस्मिल' अब इतनी हवस बाक़ी हमारे दिल में है




    मुज़मिर -     निहित
    साहिले-मक्सूद -  अभीष्ट तट
    खुदारा  -         खुदा के लिए
    नाखुदा   -       मल्लाह
    तारिकी-ए-बुग्ज़ो - ईर्ष्या और द्वेष का अंधकार
    बामे-रफअत  -  ऊंची छत
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