स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायों सहित
देश पर कुर्बान हो जाने वाले शहीदों को समर्पित
चर्चा अपने क़त्ल का अब यार की महफ़िल में है
देखना है यह तमाशा कौन-सी मंजिल में है
देश पर कुर्बान होते जाओ तुम, ऐ हिंदियों
जिंदगी का राज़ मुज़मिर खंजरे -कातिल में है
साहिले-मक्सूद पर ले चल खुदारा , नाखुदा
आज हिन्दुस्तान की कश्ती बड़ी मुश्किल में है
दूर हो अब हिंदी से तारीकी-ऐ-बुग्ज़ो-हसद
बस यही हसरत , यही अरमां हमारे दिल में है
बामे-रफअत पर चढ़ा दो देश पर होकर फ़ना
'बिस्मिल' अब इतनी हवस बाक़ी हमारे दिल में है
साहिले-मक्सूद - अभीष्ट तट
खुदारा - खुदा के लिए
नाखुदा - मल्लाह
तारिकी-ए-बुग्ज़ो - ईर्ष्या और द्वेष का अंधकार
बामे-रफअत - ऊंची छत