देखा जो ज़माने का प्रचलन ,
तो हुआ व्यथित बहुत मेरा मन |
तो किया इस पर गहन अध्यन ,
किया मैंने बहुत शोध |
हुआ मुझे बहुत ही अफ़सोस ,
लगा हाथ मेरे , जब यह तथ्य |
हजम हुआ न मुझे ये कटु सत्य ,
करते साक्षर ही अधिक भ्रूण हत्या |
तो हुआ व्यथित बहुत मेरा मन |
तो किया इस पर गहन अध्यन ,
किया मैंने बहुत शोध |
हुआ मुझे बहुत ही अफ़सोस ,
लगा हाथ मेरे , जब यह तथ्य |
हजम हुआ न मुझे ये कटु सत्य ,
करते साक्षर ही अधिक भ्रूण हत्या |
संजय भास्कर