
वैधानिक चेतावनी ....इस कविता कावास्तविक प्यार से कोई लेना देना नही है ...अगर होता है तो उसे महज संयोग मन जाये ...
मेरी बातों पर कृपया थोडा सा ध्यान दें ..हम आपको बतायेंगे कैसे अपनी जान दें ....
इसके लिए करना है एक छोटा सा काम
पड़ोस की लडकी के घर जाइये सुबह शाम
कुछ दिन बाद उसे मोहब्बत का पैगाम दें
हम आपको बतायेंगे कैसे अपनी जान दें
शुरू करिए उसके साथ घुमने जाना
फ़िल्में देखना और होटल में खाना
उसके चक्कर में छोड़ सारा काम दें
हम आपको बतायेंगे कैसे अपनी जान दें
चूर करिये माँ बाप के सारे सपनों को
भूल जाइये मोहब्बत में सभी अपनों को
सारे मोहल्ले में फैलने अपना नाम दें
हम आपको बतायेंगे कैसे अपनी जान दें ..
फिर कहीं जो उसकी शादी तय हो जाये
अब कीजिये जान देने का आखिरी उपाए
गले में डाल के फंदा खुद फंखे से टांग दें
गली के मजनू कुछ इस तरह से जान दें
.......... अनिरुद्ध मदेशिया

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