समानता के नाम पर ??????

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  • Sunday, August 8, 2010
  • यह सही है की वि. न. राय ने ऐसे ओछे शब्दों   का इस्तेमाल कर न सिर्फ एक प्रतिष्ठित  संस्थान और अपने पद की गरिमा को कलंकित किया है बल्कि हिंदी भाषा और साहित्य का भी अपमान किया है  , इसके लिए उन्हें कभी भी क्षमा नहीं किया जा सकता | किन्तु पहली बात तो यह की  क्या  इस ओर ध्यान देने  की   जरुरत नहीं  है  की  विभूति नारायण की आलोचना करते - करते हमने अपनी सारी मर्यादायों  को तार-तार  कर दिया  है...........आलोचना  के  फेर  में  हम  इस  शख्स  से  कई  कदम  आगे निकल  आये  हैं ...........और  ऊपर  से  तुर्रा  यह  की ह म  अपने  को पाक- साफ़ घोषित करते जा रहे हैं |
    और तो और हमारी महिला लेखक भी पीछे नहीं हैं इस कुकरहाव में !!!!

    तो भैया फर्क क्या रहा हम में और राय के बीच ???
     

    और दूसरे यह की आखिर कभी इतना बवाल तब क्यों नहीं मचता जब स्त्री- लेखन और विमर्श के नाम पर  जी भर - भर के पुरूषों को तो गालियाँ दी ही जाती हैं , महिलाओं को भी नहीं छोड़ा जाता और इसमें  उन तथाकथित - स्वयंभू   महिला  लेखकों   और  विचारकों  का  महान योगदान रहता है |
     

    क्या उन्हें सिर्फ  इस बात की  छूट  देते  रहना चाहिए  की वे या तो  स्वयं  महिला हैं  या फिर  महिलाओं के लिए  लिखते हैं ???

    इससे तो यही सिद्ध  होता है की यहाँ ऐसे विभूति नारायणो की कमी नहीं है |

    और सिर्फ स्त्री - लेखन ही क्यों  जरा  दलित - लेखन की ओर भी  नजरें घुमाइए .....दलित  लेखन के नाम  पर जिस तरह  से  सवर्णों  को  गालियाँ  दी जाती रहीं हैं  उसे क्या माना जाना चाहिए ???
    दलित लेखन  और स्त्री लेखन के बहाने अपनी दूकान चलाने वाले इन स्वयंभू  मठाधिशो को  की आलोचना करने  का साहस   क्या कसी में भी नहीं है???
    दलितों और  स्त्रियों को  सामान  दर्जा दिलाने  के नाम पर आखिर कब तक इस छुद्र  मानसिकता का समर्थन किया जाता रहेगा ???
    क्या गरिया देने भर से  स्त्रियों - दलितों को उनका हक मिल जाता है ???
    एक तरफ तो बात स्त्री - पुरुष समानता की की जाती  है  पर तुरंत ही  गरियाना चालू हो जाता हैं.... क्यों भला ???
    ऐसे  तो समानता आने से रही |
    तो क्या यह सही  वक्त नहीं है एक बार फिर इस बात पर विचार करने का ????

    ताकि एक जातिगत - लैंगिक भेदभाव  मुक्त,  समता - मूलक समाज की स्थापना का स्वप्न पूरा किया जा सके .....एक बेहतर भारत का निर्माण हो सके |
    और वह भी तब जब हम  कुछ ही दिनों में अपना स्वतंत्रता - दिवस  मानाने जा रहे हैं !!!!!!!
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