असीम यह वाकई बधाई की बात है की हमने एक पड़ाव पार कर लिया है
दोस्तों मै इस ब्लॉग के माध्यम से आज मै सभी के साथ दखलंदाजी की शुरुआत और प्रोग्रेस की बाते शेयर करना चाहता हूँ
दोस्तों हम ( असीम और मै) बचपन से ही बड़े प्रोग्रेस्सिव विचारधारा के थे , बात उस समय की है जब हमने मिलकर स्कूल टाइम में ही एक GK कम्पटीसन कराया था
चलिए बताते चलें कि ये बात important क्यूँ है. हम ऐसे स्कूल में थे जहाँ कोई घटिया सा भी कम्पटीसन नहीं होता था , लड़के लड़कियों से बात नहीं करते थे प्रिंसिपल साब हमारे तानाशाह थे
हमें कबड्डी खिलाते थे , क्रिकेट पे बैन था और अन्य खेलों के बारे में हम जानते ही नहीं थे , जानने वाले शायद जान गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहे है , जी हाँ हम विद्या मंदिर कि बात कर रहे है
हम दोनों विद्या मंदिर प्रोडक्ट हैं
खैर हम लोग बात कर रहे थे GK कम्पटीसन की. साडी मसक्कत के बाद और प्रिंसिपल साहब की लोलो पोचो के बाद हमें permission मिल गयी की हम एक competition करा सकते है पर उससे विद्यालय को फायदा होना चाहिए. हमें उन्हें एक गिफ्ट देने की प्रोमिश के साथ ही पटा लिया. हमारा competition तो तो सफल रहा फिर सोचा गया कि क्यूँ ना हर साल ऐसा ही एक competition कराया जाए जिसमे हम पूरे शुक्लागंज( यह एक छोटा सा कस्बा है) के बच्चों को इनवाईट करे. मुझे धुंधला धुंधला सा याद है कि हमने competition कराया भी था ( ये तब कि बात है जब हम क्लास 8 में थे). बस तब से ही हमारे हौसले बुलंद हो गए थे फिर जैसा असीम ने कहा के हमेशा से प्लान रहा कि magazine निकाली जाये हमने कई बार कोशिस की , असीम ने अपनी इंजीनियरिंग कि पढाई छोड़ दी और मैंने एयरफोर्स की नौकरी. मगर कुछ नहीं हो सका आखिरकार हमने magazine निकालने का आईडिया भी फिलहाल के लिए छोड़ दिया
पर आग जिन्दा रही साहस अबकभी नहीं मरा
कुछ महीने पहले हम लोगों ने gtalk पर वोइस चैट करते हुए ये decision लिया कि क्यूँ न एक ग्रुप ब्लॉग बनाया जाये जिसमे बहुत सारे युवाओं को जोड़ा जाये, अगले दिन ही दो ब्लॉग बनाये गए एक हमारा दखलंदाजी और दूसरा ALAS गैंग.
हमें ख़ुशी हो रही है कि हमारे ब्लॉग पर अब इतने सारे लोग एक साथ होकर लिख रहे है . हमारी magazine तो अब तक नहीं निकल सकी है पर दखलंदाजी के जरिये हम वही काम कर रहे है
आप सभी को धन्यवाद