अबकी होली में....

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  • Sunday, March 20, 2011
  • रंगों से कोई राग बनाया जाये अबकी होली में
    उम्मीदों का फाग सुनाया जाये अबकी होली में

    रंग उड़ गए जिन दीवारों के जीवन की धूपों में
    आओ फिर से उन्हें सजाया जाये अबकी होली में

    उतरे न साबुन से ना हल्का हो गम की बारिश में
    ऐसा कोई रंग लगाया जाये अबकी होली में

      छूट गयीं जो गलियां पीछे छूट गए जो चौराहे
    आओ फिर से घूमके आया जाये अबकी होली में


    जो रूठे हैं किस्मत से या फिर हमसे गुस्सा हैं
    आओ चलके उन्हें मनाया जाये अबकी होली में

    घुल जाएँ सारे आंसू चमकें चेहरों पर मुस्कानें
    ऐसा कोई गीत सुनाया जाये अबकी होली में

    जो दुबक गए हैं बिल में वो सपने फिर बाहर आ जाएँ
    ऐसा कोई बीन बजाया जाये अबकी होली में......


    आप सभी को दखलंदाज़ी  परिवार की ओर से होली की हार्दिक शुभकामनायें.

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