हमारे सभी दखलंदाज़ भाइयों को मेरा नमस्कार

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  • Saturday, January 16, 2010

  • वो कहते है ना देर आये मगर दुरुस्त आये , तो दोस्तों मै दुरुस्त आया हूँ

    हमारे सभी दखलंदाज़ भाइयों को मेरा नमस्कार
    और क्या बताऊँ मेरे बारे में
    Journalist हूँ , खोज में रहता हूँ किसी अनहोनी ही किसी दुर्घटना की किसी contraversi की

    स्वभावाव से अक्खड़ हूँ (ऐसा सब कहते है ), खुद को मेरी ही दो पंक्तियों से define कर रहा हूँ :-
    जो झुक जाते है सबके सामने वो और सर होंगे
    यहाँ तो हड्डियाँ जकड़ी हुई है गर्दनों के साथ

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    दखलंदाज़ी जारी रहे..!